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Saturday, January 8, 2011

Jai Shri Nath Ji

जहाँ " मैं ही मैं " है वहां मृत्यु है ,
जहाँ  " तू ही तू " है वहां मुक्ति है!

( श्री श्री १०८ बालयोगेश्वर महंत चन्द्रनाथ जी महाराज )

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